Wednesday, December 9, 2009

तुम

मेरे जीवन के साथी तुम
नयी राह के पथगामी तुम
तुम से ही मैं सम्पूर्ण
तुम बिन मेरी ज़िन्दगी अपूर्ण
जब नहीं होते हो तुम पास
इतनी शिद्दत से आती है तुम्हारी याद
तुम्हारी छेड़खानीयां गुदगुदाती हैं मुझे
तुम्हारी मुस्कराहट लुभाती है मुझे
आज तुमसे एक ही वचन की है आस
जब भी जाएँ, जाएँ दोनों साथ
क्योंकि जन्म मरण के परे है हमारा साथ

3 comments:

  1. This is really very touching.
    keep it up.

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  2. bahut hi asardaar panktiyan hain, hriday ko gaharey tak choo gaim shukria...!!

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  3. dear.. you are really genius ...enough to shape your emotions in words !

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