जब इंसान की जान की कीमत इतनी सस्ती हो, तब उस जानवर की क्या बिसात...
बेचारा बेजुबान अपना दुखड़ा रोये भी तो किससे
उसे तो सिर्फ प्यार और सहारे की आस थी
और चाहिए था सर छुपाने के लिए जंगल
पर इंसानी लालच और भूख ने उसे कहीं का न छोड़ा
बना दिया दरिंदगी का शिकार
और ख़त्म कर दिया उसका नामो-निशाँ
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