२६ जनवरी के आसपास बहुत से रिटेल स्टोर्स में शुरू हो जाता है सेल का पर्व.... यानि उपभोक्तावाद को राष्ट्रीयता का जामा पहनाने का एक प्रयास. उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए चमक दमक के साथ इस त्यौहार की शुरुआत होती तो नव वर्ष के मौक़े पर है, पर २६ जनवरी को वो अपने चरम पर पहुँच जाती है. सच पूछिए तो २६ जनवरी को लगने वाली सेल समापन उत्सव या 'बीटिंग रिट्रीट' होती है जनवरी के शौपिंग फेस्टिवल का. कपड़ो, गहनों से लेकर इलक्ट्रोनिक उत्पादों के अलावा प्रोविजन स्टोर में 'एक के साथ दस फ्री' का जो चारा पब्लिक की तरफ फेंका जाता है उसके जाल में फंसकर उपभोक्ता वर्ग भी २६ जनवरी को बहने वाली सेल की गंगा में हाथ धोने का मौका चूकना नहीं चाहते. फिर चाहे ये सेल उसकी जेब को हलकी ही क्यों न कर दे और शायद ही उस तथाकथित फ्री में मिलने वाले सामान की उपभोक्ता को कभी आवश्यकता भी पड़े. रिटेल कम्पनियां भी गणतंत्र दिवस के मौके को भुनाती है होली या दिवाली जैसे पर्व की तरह पर दरअसल तो ये क्लिअरन्स सेल का ही एक प्रकार है जिससे न केवल उन्हें अपना पुराना माल बेचने में आसानी होती है साथ ही २६ जनवरी की छुट्टी के दिन ज्यादा भीड़ आने की वजह से बिक्री की संभावना भी कई गुना बढ़ जाती है. पर उपभोक्तावादी संस्कृति की ये बयार कुछ सवाल भी खड़े कर देती है. ये सेल किसके लिए है और इसका औचित्य क्या है? चीनी और दाल के बेतहाशा बढ़ते दामो ने जनता की कमर वैसे ही तोड़ दी है. जहाँ कंप्यूटर, टीवी और मोबाइल के दामो में कमी आ रही है तो वही रोज़मर्रा की वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं. सिर्फ एक खास वर्ग को लुभाने के लिए लगने वाली सेल के प्रतिदिन छ्पने वाले विज्ञापनों में गणतंत्र दिवस के असली मायने कही दब से गए है. गणतंत्र दिवस का मतलब एक छुट्टी और पूरे परिवार को साथ लेकर मॉल की सैर करने का एक मौका बन गया है.
Subscribe to:
Posts (Atom)
Longing
From dream to dramatic, that's how I will describe my 2016. It was a glorious, adventurous, full of uncertainties and a transitional y...
-
There are some moments in life which are beyond words. One such moment that I witnessed this morning was the launch of Naval Destroyer INS C...
-
They say it takes three weeks to change habit! There are lots of thing that change over time but one thing that remained unchanged till now ...