Tuesday, April 26, 2011

उड़ जायेगा हंस अकेला

उड़ जायेगा उड़ जायेगा
उड़ जायेगा हंस अकेला
जग दर्शन का मेला
जैसे पात गिरे तरुवर पे
मिलना बहुत दुहेला
ना जाने किधर गिरेगा
ना जानूं किधर गिरेगा
गगया पवन का रेला
जब होवे उमर पूरी
जब छूटे गा हुकुम हुज़ूरी
यम् के दूत बड़े मज़बूत
यम् से पडा झमेला
दास कबीर हर के गुण गावे
वाह हर को पारण पावे
गुरु की करनी गुरु जायेगा
चेले की करनी चेला

Longing

From dream to dramatic, that's how I will describe my 2016. It was a glorious, adventurous, full of uncertainties and a transitional y...